प्रघात या सदमा (शॉक)-
प्रघात या सदमा क्या हैं ?
- प्रघात या सदमा एक संलक्षण [सिंड्रोम] है जो कि शरीर में क्षति या बीमारी के कारण द्रव की मात्रा या रक्त संचार के प्रभावी गतिशीलता में कमी होने के परिमाण स्वरुप होता है |
- हल्की मूर्छा से लेकर गंभीर बेहोशी या पुरतः ढह जाना [निढाल होना] शामिल है l
प्रघात के प्रभाव
- शुरुआत में ही बेहोशी छा जाना मुख्यतः तंत्रिका तंत्र से जुड़ा होता है | और यह प्राणघातक हो सकता है |
- सक्रिय रक्त संचार में धीरे-धीरे कमी आती है | जो कि हृदय की असफलता (हार्ट फेल) का रूप ले सकता है और इससे कोशिकाओं को रक्त की अपर्याप्त आपूर्ति होती है जोकि जीवन के लिया नाजुक होता है |
- लगातार निम्न रक्तचाप होने से गुर्दे (किडनी) एवं यकृत (लीवर) की खराबी का रूप ले सकते हैं|
प्रघात के कारण –
- गंभीर या व्यापक क्षति
- गंभीर दर्द, ह्रदयघात
- रक्त की कमी
- गंभीर जल आना
- बिजली का झटका
- उच्च ताप या ठंड के प्रति अनावरण (संपर्क)
- एलर्जिक प्रतिक्रिया
- एलर्जिक सर्प का दंश या कीट-पतंगों का दंश
- गैस की विषाक्तता
- जहर गुटकना
- भावनात्मक तनाव/भयाकुलता
प्रघात के लक्षण एवं चिन्ह
- हताहत उत्तेजित एवं बेचैन होता है |
- कमजोरी, अशक्तता या उन्नीदंपन तथा स्थिति भ्रांति (दिग्भ्रम) होती है |
- हल्की, जल्दी-जल्दी या हाँफने जैसी साँसे चलना |
- चक्कर आना, उलटी होना या बहुत ज्यादा प्यास लगना |
- त्वचा पीली, ठंडी और आर्द्र (नम) पड़ना, पसीना भी आ सकता है |
- नाड़ी के गति बढ़ जाती है पर कमजोर हो जाती है |
- खून का दबाव (रक्त चाप) गिर जाता है |
- आँख के तारे फैल (विस्फारित हो) जाता है |
- आँखों में चिकनापन कम (द्रव हीनता) हो जाता है |
- हाथो व पाँवों में हिलना व झटके आना शुरू हो जाता है |
- बेहोशी छा सकती है |
- बाहरी या अंदरुनी चोट के साक्ष्य जुड़े हो सकते हैं |
उपचार
- हताहत को तुरंत ही आराम एवं भरोसा दिलाएं |
- आघात में शरीर की स्थिति |
- यदि हताहत की दशा यह अनुमानित देती है तो उसे कंबल पर लिटा दें | उसका सिर नीचे रखते हुए एक तरफ को मोड़ दें (रक्त की आपूर्ति सुनिश्चित करें तथा उल्टी से होने वाले खतरे को कम करें, जैसे कि पेट के (उल्टी से) निकले तत्व श्वसन मार्ग में जाकर ऐसफीक्सिया (श्वसन बाधा) का कारण हो सकते हैं | यदि अस्थि भंग की आशंका न हो तो उसके पाँव को ऊपर उठाएं |
ऐसा न करें
- गरम पानी की बोतल लगाना | इससे त्वचा की रक्त नलिकाओं का रक्त प्रवाह बढ़ जाएगा और वह नाजुक अंगों से रक्त खींच लेंगी |
- हताहत को अनावश्यक इधर-उधर करना | इससे आघात बढ़ सकता है |
- हताहत को मुहं से कुछ देना | इससे मूर्छा औषधियाँ बाधित होगी या देर से प्रभाव करेंगी |
- हताहत के द्वारा धूम्रपान करना |