दमा या अस्थमा –
अस्थमा एक श्वसन तंत्र की बीमारी है। अस्थमा में हमारे फेफड़े के साथ-साथ श्वसन नलीकाएं प्रभावित होती है। जिसके कारण पूरे श्वसन तंत्र पर असर पड़ता है। जब हमारे फेफड़ों और श्वसन नालियों में श्लेष्मा (कफ) अधिक मात्रा में जमा हो जाता है। और वह आसानी पूर्वक बाहर नहीं निकल पाता है। अत्याधिक खांसी होने के पश्चात भी कफ का बाहर निकलना बहुत मुश्किल होता है। जिसके कारण मनुष्य को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। उस परिस्थिति को दमा की बीमारी कहते हैं। इस बीमारी के कारण मनुष्य को श्वसन में बेहद कष्ट होता है, तथा गले से आवाज निकलनी शुरू हो जाती है।
जो मनुष्य इस बीमारी से ग्रसित होते हैं, उनमें प्रायः इस बीमारी का दौरा पड़ते देखा गया है। जिन लोगों को दमा के कारण दौरे पड़ते हैं। उस समय वे लोग बैठने तथा लेटने में असमर्थ रहते हैं, क्योंकि दौरे के समय बैठने तथा लेटने में समस्या और बढ़ जाती है। दमा से उठने वाले दौरो के कारण रोगियों में श्वास लेने में अत्यधिक कष्ट होता है, गले से आवाज आती रहती है तथा छाती में दर्द का अनुभव होता है। दौरे के समय रोगी का चेहरा पीला पड़ सकता है, तथा रोगी के चेहरे और आंखों से बेचैनी झलकती है। दौरे के कारण रोगी खांसते-खांसते बेचैन हो उठता है। फेफड़ों से कुछ कफ निकलने के पश्चात दौरे की अवस्था कुछ कम होती है। दमे के दौरे का आक्रमण कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक रह सकता है
श्वसन नलीकाओं में सूजन के कारण भी दमे की बीमारी होती है। सूजन के कारण श्वसन नलीकाए सिकुड़ जाती है। जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत होने लगता है।
दमा के प्रमुख लक्षण –
- छाती में लगातार दबाव महसूस होना |
- फेफड़े एवं श्वसन नली में अधिक कफ जम जाना |
- छाती में जलन एवं दर्द का अनुभूति होना|
- कभी कभी झाग के साथ बलगम का निकलना|
- लगातार उग्र खांसी होना|
- कफ का आसानी से बाहर ना निकल पाना|
- शुष्क ठंडी हवा से तथा तंबाकू के धुए से दमा की स्थिति और खराब होना|
गंभीर लक्षण-
- अचानक दौरे आना
- मध्य रात्रि में दमे की स्थिति और गंभीर हो जाती है
- बेचैनी तथा मृत्यु का भय होना
- कर्कस सूखी आवाज के साथ भयानक खांसी होना
- फेफड़े के लकवे की आशंका
- चेहरा नीला पड़ जाना
- नाखूनों का रंग फीका पड़ जाना
- आंखें ऊपर की ओर चढ़ जाना
- थोड़ा चलने फिरने से भी सांस लेने में कठिनाई होना
- हल्के से परिश्रम करने पर भी दम फूल जाना
- सांस लेने की कोशिश में मूर्छित हो जाना
- फेफड़ों में सूजन हो जाना
अस्थमा का इलाज
अस्थमा का उपचार संभव है। अगर आप अस्थमा के सुरूआती लक्षणों को पहचानते हैं, तो आप इसे शुरुआती दौर में ही खत्म कर सकते हैं। लेकिन जब अस्थमा गंभीर अवस्था में पहुंच जाती है तो इसे खत्म कर पाना मुश्किल हो जाता है। इस अवस्था में अस्थमा को कुछ दवाओं के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है। अस्थमा में अचानक आने वाले दौरे के कारण आप को अतिशीघ्र डॉक्टर की आवश्यकता पड़ सकती है। इसके लिए आपको अपने शरीर में हुये परिवर्तन को जानना जरूरी होगा ताकि आप दौरे आने से पहले डॉक्टर से संपर्क कर सकें।
अस्थमा से बचाव :
- धूम्रपान या अधिक शराब का इस्तेमाल ना करें।
- अगर आपमें अस्थमा के किसी भी प्रकार के शुरुआती लक्षण दिखते हैं। तो आप उन कारणों से दूर रहे जिसके कारण अस्थमा की बीमारी गंभीर होती है।
- आप उन शहरों में रहते हैं। जहां की वायु प्रदूषण अधिक है। आप मास्क का इस्तेमाल कर उस वायु प्रदूषण से बच सकते हैं।
- अगर आप अस्थमा से ग्रसित हैं। तो गर्म पानी से आप अस्थमा से बच सकते हैं। सोने से पहले गर्म पानी का पीना अस्थमा में लाभप्रद माना जाता है।
- अस्थमा होने की स्थिति में किसी प्रकार की एलर्जी से दूर रहे। फूल के पराग, धूल, धूए, किसी भी प्रकार की खुशबू, अधिक मसालों की गंध या अधिक रासायनिक गंध आदी से अपने आप को दूर रखें।
- मौसम में परिवर्तन के समय अस्थमा गंभीर होता है। इससे बचने के लिए आप घरेलू उपाय अपना सकते हैं अधिक समय तक पानी में भीगे ना रहे, अधिक ठंड से बचें।